कोटा : मां की ऐसी निर्दयता शायद ही देखी होगी कहीं, 6 घंटे पहले जन्मी नवजात को सड़क पर छोड़ा लावारिस
By: Ankur Tue, 27 Oct 2020 12:42:51
मां अपने बच्चों के लिए बहुत कुछ करती हैं और सब त्यागने को तैयार रहती हैं। लेकिन कोटा में मां की निर्दयता का एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सभी को हैरान कर दिया। रावतभाटा रोड स्थित नयागांव के करीब मेन राेड से अंदर की तरफ जा रही सड़क पर सोमवार अलसुबह कपड़ों में लिपटी एक मासूम बेटी मिली। बेटी को गुर्जर चाैक से सटी दीवार के नजदीक छोड़ा गया था। मासूम बेटी की न मां का पता है, न ही पिता का और न ही उनके मिलने की कोई उम्मीद बची है।
मां का दूध तो पता नहीं एक बार भी मिला कि नहीं और बाहर का खाना अभी ले नहीं सकती। डॉक्टरों का कहना है कि बेटी को पैदा होने के करीब 5-6 घंटे बाद ही वहां रख दिया गया था। सुबह करीब 6 बजे जब मॉर्निंग वॉक पर निकले लाेगाें काे बालिका के रोने की आवाज आई। लोगों ने उसे गोद में उठाया और चाइल्ड लाइन को फोन किया। फोन कॉल के बाद कोऑर्डिनेटर अलका अजमेरा, टीम सदस्य नर्मदा और आरकेपुरम थाने के एएसआई धनश्याम माैके पर पहुंचे। बालिका को जेकेलोन अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में बालकल्याण समिति के आदेश से उसे अस्थाई आश्रय दिलावाया गया।
अज्ञात में केस दर्ज : बालिका पूरी तरह स्वस्थ है, लेकिन डॉक्टरों ने उसे अपनी देखरेख में रखा है।उसे दो दिनों तक अस्पताल में रखा जाएगा। इधर, आरकेपुरम पुलिस द्वारा अज्ञात परिजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
पहचान उजागर किए बिना सरकारी पालने में डाल सकते हैं बच्चों को
जो मां समाज के सामने आने में डरती है या कानून के डर से मासूमों को सड़क, नाले या झाड़ियों में फेंककर जाती है, वो ऐसा करके अपने ही अंश के साथ खिलवाड़ कर रही है। इसके लिए सरकार ने विकल्प दे रखा है। ऐसे माता-पिता बच्चों को सुरक्षित पालने में छोड़ सकते हैं। शहर में जेकेलोन अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में सरकारी पालने लगे हैं। वहीं, करणी नगर विकास समिति के बाहर भी पालना लगा है। बच्चों को पालने में डालने पर सायरन बजेगा और थोड़ी देर में वो बच्चे को ले जाएंगे। ऐसा करने पर आपकी पहचान उजागर नहीं होगी और कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं होगी।
कानून : नवजात काे लावारिस छाेड़ने पर 10 साल सजा का प्रावधान
नवजातों बच्चाें काे लावारिस छाेड़ने पर दाेषी के खिलाफ आईपीसी की धारा 315 के तहत सख्त कार्रवाई हाे सकती है। इसमें भ्रूण हत्या और पैदा होने के बाद फेंक देना यानी उसकी हत्या करने जैसे अपराध में आरोपी को 10 वर्ष की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। हालांकि पुलिस ऐसे मामलों में सामान्यतया: 174 में मर्ग दर्ज करके बैठ जाती है। वैज्ञानिक जांच न होने से दोषियों को सजा तो दूर उनकी पहचान तक नहीं हो पाती।
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